नई दिल्ली। देशभर में लाखों लोग अनचाही कॉल और मैसेज (Unwanted calls and Messages) से खासे परेशान हैं, लेकिन इस समस्या पर काबू पाने के प्रयास धीमे हो गए हैं, क्योंकि इस मामले में दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों (Telecom Service Provider Companies.) और टेलीमार्केटिंग कंपनियों (Telemarketing companies) की जिम्मेदारी तय करने पर मामला अटक गया है। सरकार समस्या को सुझलाने में लगी हुई है।
सरकार का प्रस्ताव
दूरसंचार विभाग (डीओटी) चाहता है कि टेलीमार्केटिंग करने वाली कंपनियों को अब लाइसेंस लेना पड़े। यानी जो भी कंपनियां बैंक, शॉपिंग साइट या अन्य ब्रांड की तरफ से प्रचार कॉल्स और मैसेज भेजती हैं, उन्हें अनुमति के बिना काम करने की इजाजत नहीं होगी। इससे उन पर नियंत्रण रहेगा।
ट्राई की रणनीति
वहीं, दूरसंचार नियामक ट्राई इस मामले में संभलकर कदम बढ़ा रहा है। उसका कहना है कि जब तक दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां सख्ती से काम नहीं करेंगी, तब तक स्पैम कॉल और एसएमएस पूरी तरह से बंद नहीं होंगे। वे ही इन कॉल्स को अपने नेटवर्क पर चलाती हैं। ग्राहक भी सबसे पहले इन्हीं के पास अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं। ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी के अनुसार, बिना टेलीकॉम कंपनियों के सक्रिय सहयोग के स्पैम रोकना नामुमकिन है।
आठ लाख से अधिक शिकायतें
फिलहाल देशभर में करीब 18 हजार टेलीमार्केटिंग कंपनियां सक्रिय हैं। अगस्त 2024 से अब तक 1150 से ज्यादा कंपनियों को ब्लैक लिस्ट में डाला गया और करीब 19 लाख मोबाइल नंबर बंद किए गए। वहीं, जनवरी से मई 2025 के बीच ही पंजीकृत और गैर पंजीकृत टेलीमार्केटिंग कंपनियो के खिलाफ आठ लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं।
ग्राहकों की भूमिका भी जरूरी
ट्राई के अनुसार, अब तक सिर्फ 24 करोड़ लोगों ने ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ (डीएनडी) सेवा में पंजीकरण कराया है, जबकि कुल मोबाइल उपयोगकर्ता 110 करोड़ से ज्यादा हैं। यानी 78% लोग अब भी डीएनडी सेवा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। लोगों को इस पर पंजीकरण करना चाहिए और स्पैम की शिकायत ज़रूर दर्ज करनी चाहिए।
ट्राई के मौजूदा नियम
अभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां टेलीमार्केटर्स की गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। स्पैम पर रोक लगाने में नाकाम रहने पर ट्राई इन पर जुर्माना लगा सकता है। नियमों के मुताबिक, यदि किसी टेलीकॉम ऑपरेटर को 10 दिनों के भीतर पांच या अधिक अलग-अलग ग्राहकों से एक ही टेलीमार्केटर के खिलाफ शिकायतें मिलती हैं तो उसकी सेवाएं बंद करनी होती है। साथ ही उसके खिलाफ जांच भी करनी होती है।
क्या होंगे नए नियम
अक्टूबर 2024 में दूरसंचार विभाग ने ट्राई से पूछा था कि टेलीमार्केटर्स को अधिकार देने के लिए किन शर्तों और फीस की जरूरत होगी। इन नियमों के तहत टेलीमार्केटर्स को औपचारिक मंजूरी या लाइसेंस लेना पड़ेगा, लेकिन इनकी परिभाषा तय करने पर पेच फंस गया, जिस पर ट्राई ने विभाग से स्पष्टता मांगी थी। ‘टेलीमार्केटर’ में सिर्फ टेलीमार्केटिंग कंपनियां ही नहीं, बल्कि कॉल सेंटर, एजेंट और यहां तक कि व्यक्तिगत नंबर से प्रचार मैसेज भेजने वाले लोग भी आ जाते हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि टेलीमार्केटर वही माने जाएंगे जो दूसरों की तरफ से प्रचारक मैसेज भेजते हैं। सरकार एक विशेष भी बना सकती है, जिससे कुछ संस्थाएं लाइसेंस की अनिवार्यता से बाहर रहेंगी।
कब तक लागू होगी नई व्यवस्था?
मामले से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, टेलीमार्केटर्स के लिए कोई नई अधिकृत व्यवस्था अगले साल ही लागू होगी, क्योंकि इस विषय पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है। वहीं, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि जुर्माने की मार सिर्फ ऑपरेटरों पर नहीं पड़नी चाहिए, बल्कि टेलीमार्केटर्स और उन ब्रांड्स पर होनी चाहिए, जो ऐसे संदेश भेजवाते हैं।
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