Jivitputrika vrat 2025: तस्वीरों में देखें- काशी में जीवित्पुत्रिका का पूजन, घाट से लेकर घरों तक हुई पूजा
Jivitputrika vrat 2025: संतान की दीर्घायु के लिए 38 घंटे का निर्जला व्रत कर महिलाओं ने विधि- विधान से पूजन किया। माता लक्ष्मी की 16 परिक्रमा लगाई। साथ ही आठ कथाएं सुनीं।
मातृशक्ति की अटूट आस्था, त्याग और संकल्प का पर्व रविवार को मनाया गया। महिलाओं ने 38 घंटे का निराजल व्रत रखकर संतान की लंबी उम्र और मंगलमय जीवन की कामना की। नहाय-खाय से शुरू हुए व्रत का पारण सोमवार को किया गया। गंगा के घाट, कुंड, तालाब, पोखरों के साथ ही घरों में भी जीवित्पुत्रिका का पूजन किया। सोरहिया मेला के 16वें दिन महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर माता लक्ष्मी की सोलह परिक्रमा करते हुए दर्शन-पूजन किया। व्रतियों ने आठ प्रकार के फल-फूल, माला तथा आठ कथाओं का श्रवण कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की।
भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना से रविवार को व्रती महिलाओं ने सूर्य भगवान को स्नान कराकर उन्हें अर्घ्य अर्पित किया। इसके बाद महिलाओं की टोली घाट, कुंड, तालाब और पोखरे की ओर चल पड़ी। गोबर और मिट्टी से चील व सियारिन की प्रतिमा और कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा तैयार करने के बाद प्रतिमाओं का धूप, दीप, चावल, फूल से पूजन किया। महिलाओं ने एक-एक करके आठ कहानियां सुनीं। पूजा संपन्न होने के बाद ओम जय कश्यप नंदन, प्रभु जय अदिति नंदन। त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चंदन... से आरती उतारकर प्रसाद बांटा।
सुबह से ही महिलाओं ने जगह-जगह गोठ (समूह) बनाकर जीवित्पुत्रिका माता की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा की। लाट भैरव पोखरा, कोनिया रामजानकी पोखरा, तोतादरी मठ पोखरा, जलालीपुरा के अटनी-बटनी पोखरा, पियरिया पोखरी, मैदागिन के कंपनी गार्डन और गंगा घाटों पर श्रद्धालु महिलाओं ने उपवास रखकर संतान के दीघाZयु की प्रार्थना की। गंगा घाटों पर पूजा के दौरान महिलाओं ने दीप जलाकर गंगा माता और जीवित्पुत्रिका देवी से अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना की। इस अवसर पर श्रद्धा और विश्वास का माहौल पूरे शहर में बना रहा।
लक्ष्मी का हुआ शृंगार, खिलौनों से सजा दरबार
लक्ष्मी मंदिर के महंत पं. अवशेष पांडेय कल्लू महाराज ने बताया कि जिउतिया पर्व के साथ ही काशी में मां महालक्ष्मी का 16 दिवसीय व्रत भी संपन्न हो गया। इस दिन महिलाएं महालक्ष्मी दरबार में कथा श्रवण करती हैं और भगवती संतान लक्ष्मी जीवित्पुत्रिका की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है और पुत्र की दीर्घायु के साथ मंगल कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस अवसर पर संतान लक्ष्मी की प्रतिमा का विशेष शृंगार किया गया और छोटे बच्चों के लिए खिलौनों से माता का दरबार सजाया गया।
बरेका के सूर्यसरोवर पर जिउतिया पूजन संपन्न
बरेका के सूर्यसरोवर पर रविवार को मां जीवित्पुत्रिका पूजा समिति की ओर से रविवार की शाम विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ जीवित्पुत्रिका पूजन हुआ। इसके पूर्व समिति की तरफ से बरेका इंटर कॉलेज में बच्चों की सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में लगभग 500 छात्र /छात्राओं ने प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया। विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
उधर, लोहता के कोरौता, भट्ठी, भरथरा, महमूदपुर, छितौनी, कोटवां, केराकतपुर, हरपालपुर, गांव के तालाबों, कुंडों पर जीउत्पुत्रिका पूजन को लेकर सायं छह बजे तक काफी भीड़ थी। कछवां रोड के सेवापुरी ब्लॉक के ठटरा गांव स्थित बम भोले मंदिर पर निर्जला व्रती महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका पूजन के दौरान अपने संतान के लंबी आयु और समृद्धि के लिए कामना की।
चौबेपुर में महिलाओं ने खर व्रत रहकर पूजन किया। छितमपुर मां नेपाली भगवती धाम, रामलीला मैदान चौबेपुर ,अजांव, गरथौली ,कैथी, उमरहां, डुबकियां सहित कई गांवों में पुत्रवती माताओं ने पूजन किया। शिवपुर क्षेत्र के प्राचीन रामभट्ट तालाब पर पूजन हुआ।
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